संत कबीर दास ने स्त्रियों के बारें में एक दोहा कहा है
पतिवरता मैली भली, काली, कुचिल, कुरूप ।
पतिवरता की रूप पर , बारों कोटि स्वरुप
इस दोहे का हिंदी अनुवाद
संत कबीर दास जी कहते हैं कि पतिव्रता मैली ही अच्छी, काली मैली- फटी साडी पहने हुए
और कुरूप तो भी उसके रूप पर मै करोड़ों सुंदरियों को न्योछावर कर देता हूँ ।
पतिव्रता मैली ही अच्छी, जिसने सुहाग की नाम पर काँच की कुछ गुरिये पहन रखे हैं
फिर भी अपनी सखी सहेलियों की बीच वह ऐसे चमक रही हैं जैसे आकाश में सूर्य और चंद्र कि ज्योति जगमगा रही हो