राजनीति विज्ञान
Political Science in Hindi, राजनीति विज्ञान का अर्थ, परिभाषा
Political Science in Hindi
मानव एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में ही जन्म लेता है समाज में रहकर ही वह पलता बढ़ता है । यदि मानव को समाज से बाहर किसी निर्जन स्थान में अकेला छोड़ दिया जाए तो उसका विकास रुक जाता है उसमें असामाजिक लक्षण विकसित हो जाएंगे मानव अपने विकास एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज में रहना चाहता है।
समाज मानव की बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं अन्य प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करता है। अपनी इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव समाज में रहकर कई प्रकार के संबंधों का निर्माण करता है। समाज ही मानव में पारस्परिक सहयोग दया प्रेम सहानुभूति आदि सद्गुणों का विकास करता है। परंतु मानव हमेशा सहयोगी ही नहीं होता। मानव में बुद्धि एवं विवेक होता है वह अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए समाज में संघर्ष भी करता है, समाज में कई प्रकार के विवाद भी उठते हैं । इन संघर्षों के कारण मानव प्रतियोगिता करता है परंतु विवादों का समाधान भी समाज में ही निकलता है।
समाज में रहने वाले मानव जीवन के विभिन्न पक्ष होते हैं जिन का अध्ययन भिन्न-भिन्न सामाजिक विज्ञानों द्वारा किया जाता है। जिस प्रकार मानव जीवन के सामाजिक पक्ष का अध्ययन समाजशास्त्र नैतिक पक्ष का अध्ययन नीति शास्त्र और आर्थिक पक्ष का अध्ययन अर्थशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है।
उसी प्रकार मानव जीवन के राजनीतिक पक्ष का अध्ययन राजनीतिक विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है मानव जीवन का राजनीतिक पक्ष – अरस्तु की दृष्टि में सर्वाधिक महान क्योंकि यही पक्ष मानव जीवन के अन्य पक्षों को निर्धारित करता आता है आज मानव जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है जो किसी न किसी रूप में राज्य के संपर्क में ना आता हो ।
राजनीति विज्ञान का अर्थ
राजनीति विज्ञान शब्द समूह अंग्रेजी भाषा के पॉलटिकल साइंस शब्द समूह का हिंदी रूपांतरण है । जो पॉलिटिक्स शब्द से बना है जिसका हिंदी रूपांतरण राजनीति है। पॉलिटिक्स शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के polis शब्द से हुआ है । जिसका उस भाषा में अर्थ है नगर राज्य अरस्तु ने अपने ग्रंथ का नाम पॉलिटिक्स रखा नगर राज्यों की स्थिति कार्यप्रणाली एवं अन्य गतिविधि से संबंधित विषयों का अध्ययन करने वाले विषय को ग्रीस निवासी पॉलिटिक्स कहते थे।
इस प्रकार राजनीति का क्रमबद्ध अध्ययन प्राचीन यूनान के दर्शन के अध्ययन से प्रारंभ होता है। परंतु सोलवीं शताब्दी से बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक चरण में राजनीतिक को राजनीतिक जीवन की विभिन्न संस्थाओं के संदर्भ में परिभाषित किया गया। यह परिभाषाएं परंपरागत परिभाषाएं मानी जाती है इस काल के विचारकों ने अपने अध्ययन को राज्य सरकार तथा इनसे संबंधित संस्था तक ही सीमित रखा जिसके राजनीतिक को राजनीतिक विज्ञान के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
राजनीतिक विज्ञान की परिभाषा के संदर्भ में विभिन्न राजनीतिक विचारों ने कई प्रकार से अपने विचार व्यक्त किए हैं । परिभाषा संबंधी विचारों की इस भिन्नता पर टिप्पणी करते हुए कई विद्वानों ने कहां है। राजनीतिक विज्ञानिक विभिन्न दिशाओं में इस प्रकार मानकर यात्रा कर रहे हैं कि यदि किसी को मंजिल का ज्ञान नहीं भी होता है तो कोई न कोई मार्ग उन्हें मंजिल तक पहुंचा ही देता है।
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