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Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai | केतकी का फूल कैसा होता है सच्ची कहानी क्या है जाने ?

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Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai – केतकी का फूल कैसा होता है

नमस्ते मित्रों आज हम इस पोस्ट में केतकी का फूल कैसा होता है(Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai) इसके बारे में सम्पूर्ण चर्चा करेंगे । वैसे हम सभी को पता है कि इस दुनिया में कई प्रकार के फूल पाएँ जाते हैं। कुछ सुगन्धित कुछ सुगंधहिन, छोट, बड़े, रंगीन और बिना रंग के फूल पाये जाते है, इसी प्रकार एक फूल है केतकी का फूल। यह ऐसा फूल है जिसका व्याख्यान प्राचीन समय से हमारे ग्रंथों में किया जा रहा है पर इसे भगवान शिवजी को नहीं चढ़ाया जाता। इस फूल से हिन्दू धर्म की कथाएँ भी प्रचलित है ।

केतकी का फूल कैसा होता है? (Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai)

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai: केतकी का फूल एक सुगन्धित फूल है जिसके नुकीले, चपटे, लम्बे, और मुलायम पत्ते होते हैं। केतकी का फूल सफेद एवं पीले रंग का होता है। सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा कहा जाता है जो पीले रंग का होता है उसे सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है। इस फूल की पत्तियों की पत्तियों की संख्या पांच होती है। यह सुगन्धित होने के अलावा मुलायम भी होता है एवं दिखने में मनोरम।

 

केतकी का फूल कब आता है इसका पेड़ कैसा दिखाई देता है?

Ketki ka phool ka ped: केतकी का फूल सावन के महीने में वर्षा के मौसम मे देखने को मिलता है। ये फूल केतकी के पौधे पर लगता है और यह आसपास के वातावरण को इतना सुगन्धित कर देता है कि दूर से ही पता चल जाता है की उस क्षेत्र में कोई केतकी का पेड़ है।

केतकी का फूल अंग्रेजी में क्या कहलाता है? ketki ka phool in english name

Ketki in English: केतकी के पुष्प को अंग्रेजी में फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (Fragrant Screw-pine) कहते हैं। इसके पेड़ को अंग्रेजी में अम्ब्रेला ट्री (Umbrella Tree) एवं स्क्रू ट्री (Screw Tree) भी कहते हैं। इसका साइंटिफिक नाम पैंडनस ओडोरिफर (Pandanus odorifer) है। हम आपको यह भी बता दें कि सामान्य भाषा में इसे केवड़ा भी कहा जाता है।

केतकी के अन्य नाम:

इसका मूल नाम केतकी संस्कृत भाषा से आया है। तमिल में इसे कैथाई और ताई कहा जाता है। इसके पेड़ को मलयालम में पुककैथा (pookkaitha) कहा जाता है व केतकी के फूल को थाज़मपू के नाम से जाना जाता है। अरबी में केतकी के पेड़ को अल-कादी कहते हैं। जापान में अदन कहते हैं।

केतकी का फूल कहां पाया जाता है?

केतकी का पेड़ साउथ एशिया, फिलीपीन्स, दक्षिण भारत, पोलीनीशिया, ऑस्ट्रेलिया, एवं बर्मा में पाया जाता है। यह बांग्लादेश के सेंट मार्टिन्स आइलैंड पर भी उगता है

केतकी के फूल के उपयोग

केतकी का यह फूल काफी सुगन्धित होता है।केतकी के फूल से खासकर फैंसी परफ्यूम बनाए जाते हैं, यह दिखने में बहुत ही मनोरम पुष्प है इस कारण इससे गुलदस्ते भी बनाए जाते हैं। इस फूल के अन्य उपयोग है कि इससे सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, लोशन , बालों का तेल, भी बनाये जाते हैं। यह ज्यादातर महंगे परफ्यूम, सुगन्धित पानी आदि बनाने में उपयोग में लाया जाता है।

भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता केतकी का फूल

देवताओं को उनकी प्रिय सामग्री ही अर्पित की जाती है। लेकिन देवों के देव महादेव यानि भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं जिन्हें तरह-तरह की सामग्री अर्पित की जाती है। जैसे कमलगट्टा, धतूरा, बिलपत्र, शमीपत्र, लेकिन इन्हें केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाया जाता है। इसे भूलकर भी कभी शिवजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए। इसका कारण शिव पुराण की एक कथा में मिलता है। यह कथा कुछ इस प्रकार है कि एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया था कि उन दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है? विष्णु जी कह रहे थे कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं और दूसरी ओर ब्रह्मा जी का कहना था कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं। इस बात को लेकर उनका विवाद बढ़ने लगा फिर इस विवाद को बढ़ता देख सभी देवता एक जुट हो कर भोले बाबा यानि शंकर जी पास गये और विवाद को खत्म करवाने की मांग करने लगे। भगवान शिव इस झगड़े को समाप्त करने के लिए दोनों देवताओ के बिच पहुचे और उनके वहां एक विशाल शिवलिंग निर्मित किया फिर दोनों से कहा कि आपमें से एक इस शिवलिंग का अंत और एक जन आरम्भ खोजो जो पहले सफल होगा वही सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा।

भगवान विष्णु अंत खोजने के लिए ऊपर की ओर प्रस्थान कर गये और भगवान ब्रह्मा आरम्भ की खोज में निचे की ओर जाने लगे तभी कुछ दुरी पर उन्होंने उनके साथ निचे की ओर आते हुए एक केतकी के फूल (Ketki Ka Phool) को देखा और उसे कहा कि मेरे साथ भगवान शिव के पास चलो और उन्हें कहना कि मैंने इस शिवलिंग का प्रारम्भ ढूँढ लिया है, पर जैसे ही ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल के साथ मिल कर झूठ कहा तो भगवान शिव नाराज़ हो गये क्योकि वह जानते थे कि इस शिवलिंग का ना कोई अंत है और ना ही कोई आरम्भ तो उन्होंने नाराज़ होकर ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि “आपकी धरती पर पूजा नहीं की जाएगी” और केतकी के फूल (Ketki Ka Phool) को भी श्राप दे दिया था कि वह उनका पसंदीदा फूल है किन्तु फिर भी यह उन्हें नही चढाया जाएगा तभी से केतकी का फूल भगवान शिव को नही चढ़ता है। शंकर भगवान को सफेद रंग के पुष्प बहुत पसंद हैं, लेकिन यह सफेद पुष्प महादेव को अर्पित नहीं किया जा सकता है।

इसलिए भूल कर भी महादेव को केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। उम्मीद है आप हमारी दी गयी इस जानकारी से संतुष्ट होंगे और आप जान गये होंगे की केतकी का फूल भगवान शिव को नही चढ़ता है। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो भोले बाबा के भक्तों के साथ इसे शेयर करिये।

केतकी के फूल के साथ गाय माता को  मिला था श्राप

जब ब्रह्मा जी शिवलिंग का आरम्भ खोज रहे थे, तब उन्हें केतकी का फूल और गाय दोनों दिखाई दिए और केतकी के पुष्प और गाय दोनों को ही वे अपने साथ मिथ्या भाषण के लिए ले आये। मिश्रा जी ने बताया कि सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती परन्तु जिस प्रकार ब्रह्मा जी दोनों प्रमाणों को भी झूठ बोलने हेतु ले आये थे, इसकी सजा उनको भी मिली। केतकी के फूल को शिव जी ने श्राप दे दिया कि तू मुझ पर कभी नहीं चढ़ाया जायेगा। इसके अलावा गाय को श्राप देते हुए शिवजी ने कहा कि गौ माता, तू पुरे जगत की माता होते हुए भी झूठ बोल गयी, तेरा पूरा शरीर पूजा जायेगा पर तेरा मुख अपूज्य माना जायेगा क्युकी तूने झूठ बोला है।

सनातन धर्म में सारे देवताओं की परिक्रमा आगे से होती है लेकिन गौ माता की परिक्रमा पीछे से होती है। कन्या दान आगे से, सारे दान आगे से होते हैं लेकिन केवल गौ दान पीछे से होता है। क्यों? क्यूंकि गौ माता ने झूठ बोल दिया था। उनका दान पूंछ पकड़कर किया जाता है।

इसलिए हमें भी कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। शिवजी का नाम ही है सत्यम शिवम् सुंदरम। जिसने सत्य को पकड़ कर रखा है उसको शिव मिल गया और जिसको शिव मिल गया उसका जीवन सुन्दर हो गया। तो बोलो हर हर महादेव!

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ketki ka phool ka ped

ketki ka phool kaisa dikhta hai

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