सामाजिक विज्ञान
हरित क्रांति किसे कहते हैं, पीत क्रांति, श्वेत क्रांति, नील क्रांति, गुलाबी क्रांति
हरित क्रांति किसे कहते हैं
हरित क्रांति का तात्पर्य कृषि उत्पादन में उस तीव्र वृद्धि से हैं जो अधिक उपज देने वाले बीजों रासायनिक उर्वरकों व नई तकनीक के प्रयोग के परिणाम स्वरूप हुई हैं ।इस हरित क्रांति के फलस्वरूप फसलों की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है। भारतीय कृषि में उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है ।पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश, तेलंगाना में गेहूं व चावल का अधिक उत्पादन उन्नत किस्म के बीजों की देन है हरित क्रांति की विशेषताएं निम्नलिखित है।
हरित क्रांति के विशेषता
- अधिक उपज देने वाले वीडियो का प्रयोग
- रासायनिक उर्वरकों का उपयोग
- कीटनाशक दवाओं का प्रयोग
- कृषि यंत्रीकरण का विस्तार
- लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का विस्तार
- भूमि संरक्षण की नई तकनीकों का प्रयोग
- कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य का निर्धारण
- कृषि शोध एवं भूमि परीक्षण को बढ़ावा
- कृषि विपणन सुविधाओं में वृद्धि
- कृषि वित्त एवं ऋण सुविधाओं का विस्तार
श्वेत क्रांति
श्वेत क्रांति का पशुपालन से निकट का संबंध है। श्वेत क्रांति का अर्थ है डेयरी विकास कार्यक्रमों के द्वारा दूध के उत्पादन में वृद्धि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में दूध का उत्पादन बढ़ाने का विशेष बल दिया गया है इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से जाना जाता है।
सरकार द्वारा विदेशी नस्ल की गायों तथा स्थानीय गायों के संकरण से नई जातियों का विकास किया गया है जो अधिक दूध देती है ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों का गठन कर गांवों में दुग्ध उत्पादन ओके दूध को एकत्रित करके उसे बेचने का प्रबंध करती है।
यह समितियां कर्ज देती है तथा पशुओं की चिकित्सा की व्यवस्था भी करती हैं। यह आंदोलन गुजरात के खेड़ा जिले से प्रारंभ होकर बड़ी तेजी से महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश तेलंगना पंजाब हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश में फैल गया है।
पीत क्रांति
खाद्य तेलों और तिलहन के उत्पादन के क्षेत्रों में अनु संसाधन और विकास कराने की रणनीति को पीली क्रांति या पीत क्रांति कहते हैं। साठ के दशक तक भारत तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरत किंतु कुल कृषि भूमि में तिलहन फसलों के घटते क्षेत्रफल खाद्य व उर्वरकों के उपयोग ना होने के कारण सिंचाई के सीमित साधन बढ़ती आबादी और फसल सुरक्षा एवं वैज्ञानिक तरीकों से उपयोग न करने से देश में खाद्य तेलों की कमी हो गई।
तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किए गए जैसे 1987-88 में भारत सरकार ने एक टेक्नोलॉजी मिशन की शुरुआत की जिसके द्वारा राष्ट्रीय राज्य व स्थानीय स्तर पर गठित सरकारी समितियों कृषि अनुसंधान संस्थान एवं ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं की मदद से तिलहन उत्पादन को अधिक लाभप्रद बनाने के उपाय किए गए हैं। सरकार ने तिलहन के समर्थन मूल्य भंडारण और वितरण की सुविधा में वृद्धि की है।
नील क्रांति
देश में मछली उत्पादन में हुई प्रगति को नीलक्रांति कहते हैं भारत विश्व में कुल मछली उत्पादन में तीसरा बड़ा राष्ट्र है । देश में मछली उत्पादन को बढ़ाने के लिए विश्व बैंक की सहायता से एक परियोजना 5 राज्यों में लागू की गई है। मछली उत्पादन से भोजन की आपूर्ति बढ़ती है पोषण का स्तर ऊंचा होता है रोजगार के अवसर बढ़ते हैं तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त होता है।
गुलाबी क्रांति
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में प्राकृतिक खनिज और विटामिन का बहुत बड़ा स्थान होता है। हमारे देश में विभिन्न जलवायु एवं मिट्टी का उपयोग करते हुए उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबंधीय फलों सेब, आम, केला, नारियल, संतरा, नींबू, नास, पत्ती,बादाम की कृषि को विकसित करने पर जोर दिया गया है इसे ही गुलाबी क्रांति का नाम दिया गया है।
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