सामाजिक विज्ञान
भारत की मुख्य फसलें एवं उनका वितरण
भारत की मुख्य फसलें
- खरीफ फसलें – जो वर्षा ऋतु के आरंभ में बोई जाती है एवं दशहरे के बाद शरद ऋतु के अंत तक तैयार हो जाती है खरीफ की फसलें कहलाती हैं। मानसून के आगमन पर बोई जाने वाले प्रमुख खरीफ फसलें चावल ज्वार बाजरा मक्का सोयाबीन गन्ना कपास तीली मूंगफली आदि है।
- रबी की फसलें – जो फसलें शरद ऋतु के आगमन पर दशहरे के पश्चात अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है और इसमें गर्मी के आरंभ में मार्च-अप्रैल में तैयार हो जाती हैं रबि फसले कहलाती है। गेहूं, चना, जौ, सरसों, तंबाकू आदि रबी फसलों में आती है।
- जायद फसलें – विशेषताएं ग्रीष्म ऋतु में पैदा की जाने वाली सब्जियां और हरे चारे की खेती जायद फसलें कहलाती है।
- खाद्य फसलें– खाद्य फसलों से हमारा आशय उन फसलों से हैं जो भोजन के लिए मुख्य पदार्थ का कार्य करती है। खाद्य फसलों में वे अनाज सम्मिलित हैं – जैसे चावल, गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चना, अरहर।
- नगद व व्यापारिक फसलें- नगद व व्यापारिक फसलों से आशय उन फसलों से है जो प्रत्यक्ष रूप से भोजन के लिए उत्पन्न नहीं की जाती है। किंतु उन्हें बेचकर नगद राशि प्राप्त की जाती है, इनमें कपास, जूट,चाय, काफी, तिलहन, सोयाबीन, गन्ना तंबाकू, रबड़ आदि है।
नीचे दी गई तालिका में विश्व में कुछ फसलों के उत्पादन में भारत का स्थान में प्रमुख उत्पादक राज्य दर्शाए गए हैं
भारत के प्रमुख फसलें एवं उनके उत्पादन क्षेत्र का वितरण निम्नानुसार है
- गेहूं– उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और तथा गुजरात।
- चावल – पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, उड़ीसा, असम।
- बाजरा – राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक व मध्य प्रदेश।
- जौ– उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब।
- चना और दाल– मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक।
- मक्का – कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और पंजाब।
- तिलहन- राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।
- मूंगफली– गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, मूंगफली उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
- सरसों– राजस्थान, उत्तर प्रदेश हरियाणा।
- सोयाबीन– मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- सूरजमुखी– कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र।
- चाय- असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश।
- कहवा– कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल।
- तंबाकू – आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व कर्नाटक।
- गन्ना– उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, बिहार व गुजरात।
- कपास- गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु।
- जूट – पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा।
- अफीम- उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश पंजाब हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर।
- रबड़– केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक में अंडमान निकोबार दीप समूह में भारत की 90% रबड़ केरल में पैदा होती है।
- मसाले– काली मिर्च, लाल मिर्च, तेलंगना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार (छोटी इलायची),केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु (लॉन्ग) तमिलनाडु, केरल (हल्दी) आंध्रप्रदेश, उड़ीसा (सुपारी) कर्नाटक, केरल, असम, पश्चिम बंगाल।
- काजू – केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, उड़ीसा।
- रेशम– कर्नाटक, कश्मीर, असम, पश्चिम बंगाल।
- आलू– उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार।
आधुनिक कृषि प्रणाली
यहाँ पर कृषि की उस पद्धति से है जो उन्नत बीज संतुलित जीविका उर्वरक खाद और सिंचाई कीटनाशक एवं मशीनों आदि के प्रयोग से अधिक उत्पादन एवं मुनाफा प्राप्त करने की सोच पर आधारित है । आधुनिक कृषि में मूलतः रासायनिक तरीके से की जाती है। इसमें कृषि के क्षेत्र में होने वाली समकालीन वैज्ञानिक खोजों एवं अनुसंधानओं का समय समय पर समय पेश किया जाता रहा है। यह कृषि अब केवल जीविका उपार्जन का साधन नहीं है परंतु लाभ कमाने के उद्देश्य से एक अच्छा व्यवसाय भी है।
कृषि हमारा प्राथमिक व्यवसाय है इसमें फसलों की खेती तथा पशुपालन दोनों ही सम्मिलित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान व योगदान निम्न रूपों में देखा जा सकता है।
- भारतीय कृषि से संसार की लगभग 17% जनसंख्या को पोषण हो रहा है। कृषि हमारी 2/3 जनसंख्या का भरण पोषण करती है।
- भारतीय कृषि में देश की लगभग दो तिहाई श्रम शक्ति लगा हुआ है। इसके द्वारा अप्रत्यक्ष रूप में भी अनेक लोगों को रोजगार मिला है। लोग या तो दस्तकारी में लगे हैं या गांव में कृषि उत्पादों पर आधारित छोटे-मोटे उद्योग धंधों में लगे हैं। कृषि में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने की संभावनाएं छिपी होती है।
- देश में वस्त्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए कच्चे माल कृषि से ही मिलते हैं कपास, जूट, रेशम उन एवं लकड़ी का लोधी से ही वस्त्रों का निर्माण होता है। चमड़ा उद्योग भी कृषि क्षेत्र के ही देन है कृषि उत्पादों को कच्चे माल के रूप में उपयोग करने वाले उद्योगों का आधार भी यही है।
- वस्त्र उद्योग, जूट उद्योग, खाद्य तेल उद्योग, चीनी एवं तंबाकू उद्योग सभी कृषि उत्पादों पर आधारित है। कृषि उत्पादों पर आधारित आय में कृषि का योगदान लगभग 34% है।
- भारतीय कृषि देश की बढ़ती जनसंख्या का भरण पोषण कर रही है । कृषि पदार्थों से ही भोजन में कार्बोहाइड्रेट संतुलित आहार हेतु प्रोटीन वसा विटामिन आदि प्राप्त होते हैं। खाद्य पदार्थों की प्राप्ति एवं पूर्ति के संबंध में महात्मा गांधी का कथन है कि जीवन कृषि पर निर्भर करता है जहां कृषि लाभदायक नहीं है वहां स्वयं जीवन भी लाभदायक नहीं है।
- संक्षेप में भारतीय कृषि देश की अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण आधारशिला है। इसकी सफलता-असफलता का प्रभाव देश की खाद्य समस्या सरकारी आय, आंतरिक व विदेशी व्यापार यातायात के साधनों तथा राष्ट्रीय आय पर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है, इसीलिए कहा जाता है मानव जीवन में जो महत्व आत्मा का है वही भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का है।
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