सामाजिक विज्ञान
जनसंख्या विस्फोट क्या है कारण एवं प्रभाव, उपाय, समाधान
जनसंख्या विस्फोट
जब जनसंख्या वृद्धि दर इतनी तेज हो जाती है। कि देश में उपलब्ध संसाधनों आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते तब इस स्थिति को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है ।जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि हमारे आर्थिक विकास के सारे प्रयासों को विफल कर देती है।
भारत का क्षेत्रफल विश्व में कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत ।जबकि हमारे देश की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 16.7 प्रतिशत है जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है ।जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवां स्थान है।हमारे देश में आज जनसंख्या विस्फोट के कारण वस्त्र आवास और भोजन की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है 1901 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 23 पॉइंट 8 करोड़ थी वही 2011 की जनगणना के अनुसार यह बढ़कर 121 पॉइंट 6 करोड़ हो गई है।
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और शिक्षा के प्रसार के कारण हमारे देश में मृत्यु दर तेजी से कम हो रही है जन्मदर भी घट रही है।परंतु इसकी गति धीमी है किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों का विकास जनसंख्या पर निर्भर करता है जनसंख्या में आवश्यक से अधिक वृद्धि अविकसित देशों के लिए अभिशाप है जनसंख्या जिस गति से बढ़ती है।
उत्पादन में उतनी वृद्धि नहीं हो पाती है जिसके परिणाम स्वरूप प्रति व्यक्ति औसत आय कम हो जाती है। वह जीवन स्तर निम्न हो जाता है कार्यकुशलता व कार्य क्षमता कम हो जाती है। हमारे देश में दो बच्चों के परिवार को आदर्श माना गया है जबकि हमारे पड़ोसी देश चीन में एक बच्चे के परिवार को आदर्श माना गया है जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है उसके हिसाब से शीघ्र ही हमारे देश की जनसंख्या 3 से भी अधिक हो जाएगी।
जनसंख्या विस्फोट के कारण
सामाजिक कारण
- संयुक्त परिवार प्रथा होने से अधिक बच्चों के पालन पोषण में समानता परेशानी ना होना।
- कम उम्र में विवाह होने से बच्चे अधिक पैदा होना।
- भारतीय समाज का परंपरावादी होना एवं लड़कों के जन्म को महत्वपूर्ण माना जाना।
- स्त्रियों की सामाजिक स्थिति का कमजोर होना।
- बच्चों के जन्म को ईश्वर की देन मानना।
आर्थिक कारण
- निर्धनता के कारण अधिक बच्चों को कमाई का साधन माना जाता है।
- कृषि पर निर्भरता कृषि कार्य में लगे परिवारों के बच्चे उनके कृषि संबंधी कार्यों में सहायता करते हैं पशु चराने में खेतों की रखवाली करने में अधिक बच्चे उपयोगी होते है।
- दोषपूर्ण आर्थिक दृष्टिकोण ग्रामीण जनता की यह धारणा होती है कि आने वाला बच्चा अपने साथ दो हाथ पैर भी लाता है। और उनके काम में सहायक होता है इसलिए वह बच्चों को वरदान मानते हैं।
अन्य कारण
- शिक्षा का अभाव अशिक्षित जनता अधिक जनसंख्या की हानियों को नहीं समझ पाती है इस कारण वे इस ओर ध्यान नहीं देते।
- उष्ण जलवायु भारत की जलवायु गर्म है यहां लड़कियों में परिपक्वता जल्दी आ जाती है कम उम्र में शादी होने से अधिक बच्चे हो जाते हैं।
- संतान निरोधक विधियों की कमी है अज्ञानता और अनुपलब्धता के कारण इन विधियों का प्रयोग कम हो रहा है।
- घटती मृत्यु दर भारत में मृत्यु दर तेजी से घट रही है इस कारण जनसंख्या कम नहीं हो पा रही है।
जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव
- प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आती है।
- बचत और विनियोग बहुत कम हो पाता है।
- भूमि पर जनसंख्या का अधिक भार पड़ रहा है कृषि योग्य भूमि आवश्यक मात्रा में अनाज उत्पन्न नहीं कर पा रही है।
- खाद्यान्न की कमी खाद्यान्न का उत्पादन सीमित और जनसंख्या में वृद्धि खाद्यान्न की कमी समस्या पैदा करता है।
- जनसंख्या वृद्धि के कारण आवाज और शिक्षा की समस्या उत्पन्न हो रही है रहने के लिए आवास क्षेत्र बढ़ता है परिणाम स्वरूप कृषि व अन्य उपयोग होते भूमि कम हो रही है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यक मात्रा में पूर्ति नहीं हो पाना जनसंख्या वृद्धि से मांग बढ़ रही है वस्तुएं कम मात्रा में उपलब्ध हो पा रही है इससे कीमती में भी बहुत वृद्धि हो रही है।
- बेरोजगारी में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि से श्रम की पूर्ति बढ़ जाती है जिससे बेरोजगारी की संख्या बढ़ जाती है ऊर्जा का उपयोग बढ़ जाता है अधिक बिजली की जरूरत होती है इससे अधिक बिजली घरों के निर्माण की आवश्यकता महसूस होती है।
जनसंख्या विस्फोट के समाधान, उपाय
- परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू किया गया है इसे बढ़ावा देने हेतु निरंतर इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
- सहरसा गांव में परिवार नियोजन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- विवाह का उम्र बढ़ा दिया गया है परिवार नियोजन कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है प्रशिक्षण द्वारा उनको अधिक प्रभावशाली बताया जा रहा है।
- दो बच्चों के मानक को प्रोत्साहित किया जा रहा है बुनियादी प्रजनन सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है और टीकाकरण का प्रचार प्रसार भी हो रहा है।
- स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है सामाजिक संस्थानों को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ा गया है सरकार द्वारा परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लगातार प्रोत्साहित करने के बाद भी उसका वंचित प्रभाव नहीं हुआ है अतः राष्ट्रीय मुद्दा मानकर उसे जनता के समक्ष रखा जाने हेतु हमें जनजागृति लाना होगा।
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