सामाजिक विज्ञान
औद्योगिक प्रदूषण क्या है, कारण,दुष्प्रभाव, बचाव
औद्योगिक प्रदूषण
औद्योगिक प्रदूषण वायु जल और भूमि में किसी भौतिक रसायनिक अथवा जैविक अनचाहे परिवर्तन से जिससे प्राणी मात्र का स्वास्थ्य सुरक्षा और कल्याण को प्रभावित और से हानि पहुंचाता हो उसे प्रदूषण कहा जाता है।
मनुष्य ने अपनी मौलिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए औद्योगिक कारखानों की स्थापना की औद्योगिक प्रगति ने अर्थव्यवस्था को विकसित व उन्नत बनाने में जहां अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया वहीं दूसरी और पर्यावरण संबंधी ऐसी कठिनाइयों को जन्म दिया जो आज विकराल रूप से हमारे समक्ष खड़ी है।
आज पर्यावरण इस बात का अनुभव कर रहे हैं कि औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला कचरा दूषित जल विषैली गैस आदि संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है परिस्थितिक तंत्र का संतुलन बिगड़ रहा है तथा प्रदूषण की स्थिति संकट बिंदु तक पहुंच गई है जिससे पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो गया है औद्योगिकरण से होने वाले प्रमुख प्रदूषण निम्नलिखित हैं।
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
वायु प्रदूषण
कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस से वर्धा वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है कई प्रकार के उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्राकृतिक उद्योग के प्रकार उपयोग होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर होता है।
इस दृष्टि से कपड़ा उद्योग रासायनिक उद्योग धातु उद्योग तेल शोधक एवं चीनी उद्योग अन्य उद्योगों की अपेक्षा से अधिक प्रदूषण फैलाते हैं इन उद्योगों से वायुमंडल में कार्बन डाई आक्साइड कार्बन मोनो ऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड धूल आदि हानिकारक विषैले तत्व मिल जाते हैं जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
जल प्रदूषण
जल जीवन का आधार है जल में अवांछित तत्वों का मिश्रण जल को प्रदूषित कर देता है और दुग्ध उत्पादन हेतु कारखानों में जल का उपयोग किया जाता है औद्योगिक प्रक्रिया के दौरान जल में अनेक हानिकारक पदार्थ लवण अमला रसायन तथा गैस मिल जाता है।
उद्योगों से निकला हुआ यह जल जलाशय अथवा नदियों में जाकर मिलता है इस जल का उपयोग प्राणियों व वनस्पति के लिए बहुत ही हानिकारक होता है औद्योगिक अपशिष्टओ के सागरों व महासागरों में डालने से समुद्री जल भी प्रदूषित हो जाता है।
भूमि प्रदूषण
भूमि एक सीमित संसाधन है इसके दुरुपयोग के परिणाम भयंकर हो सकते हैं औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि प्रदूषण का कारण बनता है इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते हैं।
जो प्राकृतिक रूप में घटित नहीं होते तथा इनका प्राकृतिक में पुनः सक्रिय करण नहीं होता जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है इसे भूमि प्रदूषण कहते हैं औद्योगिक कचरे में रासायनिक दुर्गंध युक्त ज्वलनशील विषैले पदार्थ पर्यावरण को क्षति पहुंचाते हैं भूमि प्रदूषण को मृदा प्रदूषण भी कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण
वातावरण में ऐसी कोई भी ध्वनि जो कानों को प्रिय न लगे मानसिक क्रियाओं में बाधा डाले अर्थात चोर ही ध्वनि प्रदूषण का मुख्य रूप है उद्योगों में अनेक प्रकार की मशीनें प्रयोग की जाती है जिन से निरंतर शोर होता रहता है इससे इन में कार्य करने वाले श्रमिक अनेक मानसिक रोगों तथा बहरेपन के शिकार हो जाते हैं।
प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव
- प्रदूषित वायु माना कि स्वसन क्रिया को क्षति पहुंचाता है इससे दमा निमोनिया गले में दर्द खांसी के साथ ही कैंसर मधुमेह और हृदय रोग जैसे घातक रोग होते हैं तथा हानिकारक गैसों का वायुमंडल में अधिक मिश्रण में भीषण हादसों को जन्म देता है जिससे मनुष्य मौत के शिकार हो जाते हैं भोपाल गैस त्रासदी में इसी प्रकार की औद्योगिक गैस रिसाव का परिणाम था।
- प्रदूषित पेयजल अनेक रोगों के कीटाणु विषाणु मनुष्य के शरीर में पहुंचकर रोगों को उत्पन्न कर देता है प्रदूषित जल के सेवन से पेंचिस हैजा टाइफाइड चर्म रोग खांसी जुकाम लकवा अंधापन पीलिया व पेट के रोग हो जाते हैं।
- गंदगी के क्षेत्रों एवं प्रदूषित चीजों पर मक्खी मच्छर कीड़े आदि पनपते हैं गंदगी युक्त वातावरण में अनेक कीटाणु पैदा होते हैं जो मनुष्य के लिए आंखों में जलन आंतों के रोग हैजा जैसे रोगों का कारण बनते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव सुनने की शक्ति पर पड़ता है अधिक शोर से व्यक्ति बहरा हो जाता है इसके अतिरिक्त इससे रक्तचाप हृदय रोग सिर दर्द घबराहट आदि रोग भी मनुष्य में पन्ना पर जाते हैं।
औद्योगिकरण से बढ़ते प्रदूषण और वायुमंडल में बिखरती कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड से ग्रीन हाउस प्रभाव का जन्म हुआ है सूर्य की गर्मी के वायुमंडल में कैद हो जाने से धरती के आवश्यकता में वृद्धि हो रही है जिससे भूत आपन होने लगी है इसके दुष्परिणाम को पृथ्वी पर होने वाले महाप्रलय के रूप में भी आंका जा रहा है।
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